अकेला मन और बातें हजार
बस यूं ही...अपनी तलाश में उलझा कुछ कहता कुछ सुनाता
Wednesday, July 18, 2012
सपने
ताख पर तुमने सपने रखे हैं
उन्हें उतार लेना
उनमें धूल की परतें जमी हैं
साफ़ कर देना
हाँ, ये याद रखना
कई उम्मीदों की बाती पड़ी है
उन परतों के नीचे
हो सके तो सहेज लेना
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