अकेला मन और बातें हजार
बस यूं ही...अपनी तलाश में उलझा कुछ कहता कुछ सुनाता
Wednesday, July 18, 2012
सपने
ताख पर तुमने सपने रखे हैं
उन्हें उतार लेना
उनमें धूल की परतें जमी हैं
साफ़ कर देना
हाँ, ये याद रखना
कई उम्मीदों की बाती पड़ी है
उन परतों के नीचे
हो सके तो सहेज लेना
1 comment:
अंकित श्रीवास्तव
said...
kya baat hai..
February 4, 2013 at 7:57 AM
Post a Comment
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
kya baat hai..
Post a Comment